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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, लखनऊ
Updated Fri, 04 May 2018 07:59 AM IST
कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात के बाद भी प्रदेश के कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर के तेवर नरम नहीं हुए। अब मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए उन्होंने कहा है कि उनकी सीधी लड़ाई मुख्यमंत्री से है, क्योंकि पिछड़ों के आरक्षण को तीन श्रेणी में विभाजित करने समेत जो भी मांगे हैं सबका निस्तारण मुख्यमंत्री को ही करना है। जब तक उनकी बात नहीं सुनी जाएगी, तब तक वह आवाज उठाते रहेंगे।
उन्होंने यह भी कहा है कि शराबबंदी के मुद्दे पर सरकार ने फैसला नहीं किया तो वह 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में महिलाओं से वोट बहिष्कार करने की अपील भी करेंगे। पूर्वांचल के दौरे पर गए ओमप्रकाश राजभर ने बलिया व वाराणसी में भी मुख्यमंत्री से अपनी लड़ाई की बात कही है।
अमर उजाला से बातचीत में उन्होंने कहा कि सीएम से उनकी लड़ाई व्यक्तिगत नहीं है, लेकिन अपने मुद्दों को लेकर वह मुखर जरूर रहेंगे। इसके लिए कुर्सी भी चली जाए तो कोई गम नहीं, जो व्यापक हित में चिंतन रखता है उसे व्यक्तिगत हितों के बारे में कभी कोई चिंता नहीं होती।
उन्होंने कहा कि इसका फैसला भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ही कराएंगे। राजभर ने रामायण के लव-कुश कांड का उदाहरण देते हुए कहा कि भगवान राम के अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को लव-कुश ने पकड़ लिया था। महर्षि वाल्मीकि ने भगवान राम व लव-कुश में सुलह कराई थी। इसी तरह अमित शाह भी उनके मामले में सुलह कराएंगे।
राजभर ने कहा, पिछड़ों के आरक्षण का विभाजन करने की मांग काफी पुरानी है। शराबबंदी को लेकर वे अब तक विधानसभा में 16 बार आवाज उठा चुके हैं, लेकिन सरकार ने नहीं सुनी। इसलिए लड़ाई अब सीधे मुख्यमंत्री से हो गई है।
उन्होंने कहा कि महिलाओं को राजनीति समेत सभी क्षेत्रों में 50 प्रतिशत आरक्षण देने व 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण का तीन श्रेणी में विभाजन के मुद्दे को वह लोकसभा चुनाव में ब्रह्मास्त्र के रूप में इस्तेमाल करेंगे। उन्होंने मांग की कि पिछड़ों के 27 प्रतिशत आरक्षण में से पिछड़ा, अति पिछड़ा एवं सर्वाधिक पिछड़े के रूप में वर्गीकृत कर लाभ दिया जाए।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात के बाद भी प्रदेश के कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर के तेवर नरम नहीं हुए। अब मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए उन्होंने कहा है कि उनकी सीधी लड़ाई मुख्यमंत्री से है, क्योंकि पिछड़ों के आरक्षण को तीन श्रेणी में विभाजित करने समेत जो भी मांगे हैं सबका निस्तारण मुख्यमंत्री को ही करना है। जब तक उनकी बात नहीं सुनी जाएगी, तब तक वह आवाज उठाते रहेंगे।
उन्होंने यह भी कहा है कि शराबबंदी के मुद्दे पर सरकार ने फैसला नहीं किया तो वह 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में महिलाओं से वोट बहिष्कार करने की अपील भी करेंगे। पूर्वांचल के दौरे पर गए ओमप्रकाश राजभर ने बलिया व वाराणसी में भी मुख्यमंत्री से अपनी लड़ाई की बात कही है।
अमर उजाला से बातचीत में उन्होंने कहा कि सीएम से उनकी लड़ाई व्यक्तिगत नहीं है, लेकिन अपने मुद्दों को लेकर वह मुखर जरूर रहेंगे। इसके लिए कुर्सी भी चली जाए तो कोई गम नहीं, जो व्यापक हित में चिंतन रखता है उसे व्यक्तिगत हितों के बारे में कभी कोई चिंता नहीं होती।
उन्होंने कहा कि इसका फैसला भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ही कराएंगे। राजभर ने रामायण के लव-कुश कांड का उदाहरण देते हुए कहा कि भगवान राम के अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को लव-कुश ने पकड़ लिया था। महर्षि वाल्मीकि ने भगवान राम व लव-कुश में सुलह कराई थी। इसी तरह अमित शाह भी उनके मामले में सुलह कराएंगे।
सरकार ने नहीं सुनी शराब बंदी की मांग
राजभर ने कहा, पिछड़ों के आरक्षण का विभाजन करने की मांग काफी पुरानी है। शराबबंदी को लेकर वे अब तक विधानसभा में 16 बार आवाज उठा चुके हैं, लेकिन सरकार ने नहीं सुनी। इसलिए लड़ाई अब सीधे मुख्यमंत्री से हो गई है।
उन्होंने कहा कि महिलाओं को राजनीति समेत सभी क्षेत्रों में 50 प्रतिशत आरक्षण देने व 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण का तीन श्रेणी में विभाजन के मुद्दे को वह लोकसभा चुनाव में ब्रह्मास्त्र के रूप में इस्तेमाल करेंगे। उन्होंने मांग की कि पिछड़ों के 27 प्रतिशत आरक्षण में से पिछड़ा, अति पिछड़ा एवं सर्वाधिक पिछड़े के रूप में वर्गीकृत कर लाभ दिया जाए।
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